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लेखनी (दैनिक प्रतियोगिता) -29-Mar-2023- ज़िन्दगी एक किताब


सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी' मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
कविता 
विषय:- 🌹 स्वैच्छिक 🌹
शीर्षक -- 🙏 ज़िन्दगी एक किताब 🙏
दिनांक -- २९.०३.२०२३
दिन -- बुधवार 

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मैं जब देखता हूँ अपनी ज़िन्दग़ी को,
ज़िन्दग़ी एक किताब नज़र आती है।
इसके हर एक पन्ने को गौर से देखा,
ज़िन्दग़ी बेबस लाचार नज़र आती है।

                         इसके कुछ पन्नों में कहानी लिखा है,
                         तो कुछ पन्नें बिलकुल ही कोरे हैं।
                         कुछ कहानियाँ जीवन के पूर्ण हुए,
                         तो कुछ कहानी अभी भी अधूरे हैं।

इन पन्नों में खुशियाँ है तो ग़म भी है,
कहीं ज्यादा हैं तो कहीं कम भी है।
इनमें जीवन में छाये बहार भरपूर हैं,
कहीं पर खुशियाँ हमसे कोसों दूर है।

                         इन पन्नों में कहीं चिलचिलाती धूप है,
                       ‌ तो कहीं पर तरु की शीतल छाया है।
                         कहीं जीवन की ठंडी बहती बयार है,
                         तो कहीं आशा निराशा से टकराया है।   

ज़िन्दगी क्या है कोई नहीं जान पाया है,
जो जाना उसके लिए मात्र मोह-माया है।
'ज़िन्दगी एक किताब' सबने बतलाया है,
पर पूरे पन्नों को 'मधुकर' पढ़ ना पाया है।

                       
                         🙏🌷 मधुकर 🌷🙏

  (अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
    (स्वरचित मौलिक रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)

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5 Comments

लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Reena yadav

29-Mar-2023 08:54 PM

👍👍

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उम्दा लिखा है आपने

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